भारतीय दंड संहिता में 376 आईपीसी सेक्शन को प्रैधानिक सम्भोग के लिए जाना जाता है। यह धारा भारतीय कानून व्यवस्था में महिलाओं के खिलाफ जनसामान्य क्रूरता और अत्याचार को दबाने के लिए बनाई गई है। इसके तहत, प्रैधानिक सम्भोग का मतलब है किसी महिला के साथ बलात्कार करना।
हां, प्रैधानिक सम्भोग केवल महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए बनाई गई है।
क्या प्रैधानिक सम्भोग के लिए केवल बलात्कार का होना जरूरी है?
नहीं, प्रैधानिक सम्भोग कई रूपों में हो सकता है जैसे सामूहिक बलात्कार, ईर्ष्यालु सम्भोग आदि।
कितने सजाया जा सकता है यदि किसी को प्रैधानिक सम्भोग का दोष सिद्ध होता है?
प्रैधानिक सम्भोग के दोषी को कई वर्षों तक कैद या उसके साथ फांसी की सजा हो सकती है।
क्या प्रैधानिक सम्भोग के खिलाफ दर्ज शिकायतों की संख्या बढ़ रही है?
हां, भारत में महिलाओं के अधिक सशक्तिकरण और जागरूकता से प्रैधानिक सम्भोग के मामले बढ़ रहे हैं।
क्या संदेह की स्थिति में कानून कैसे काम करता है?
संदेह की स्थिति में, कानूनी प्रक्रिया सजाएँ प्राप्त करने के लिए मामले की विस्तार से जांच करता है।
क्या प्रैधानिक सम्भोग के खिलाफ जागरूकता में सुधार किया गया है?
हां, सामाजिक और सरकारी संगठनों द्वारा प्रैधानिक सम्भोग के खिलाफ जागरूकता में सुधार किया जा रहा है।
क्या प्रैधानिक सम्भोग के मामलों में साजिश भी शामिल हो सकती है?
हां, प्रैधानिक सम्भोग के मामलों में साजिश और षड़यंत्र भी शामिल हो सकते हैं, जिन्हें स्वीकार किया जाता है।
क्या प्रैधानिक सम्भोग के विरुद्ध जनसमूह के वालवादी तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है?
हां, जनसमूह के वालवादी तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है जब वे प्रैधानिक सम्भोग के प्रोत्साहन करते हैं।
क्या प्रैधानिक सम्भोग विचारात्मक ही होता है या यह शारीरिक भी हो सकता है?
प्रैधानिक सम्भोग कई रूपों में हो सकता है, जैसे मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक भी।
कैसे स्थायी सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है प्रैधानिक सम्भोग के खिलाफ?